व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> जीतने का साहस जीतने का साहसजैक कैनफ़ील्ड, मार्क विक्टर हैन्सन
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‘‘उन सबके लिए एक आदर्श पुस्तक जो वास्तव में जीवन में और अधिक पाना चाहते हैं...अद्भूत !’’
‘‘उन सबके लिए एक आदर्श पुस्तक जो वास्तव में जीवन
में और अधिक पाना चाहते हैं...अद्भूत
!’’
—नॉर्मन विन्सेन्ट पील
जैक कैनफ़ील्ड और मार्क विक्टर हैन्सन विश्वास करते हैं कि जीवन के पास
हमें देने के लिए बहुत कुछ है...यदि हम उसे पाने का साहस करें। जीतने का
साहस ठीक यही करने के लिए एक योजना प्रस्तुत करती है—ऐसी योजना
जो
आत्मविश्वास एवं आत्मगौरव का विकास करके हर एक को एक विजेता की भाँति
सोचने के लिए प्रेरित करती है।
यह सहज-सरल कार्यक्रम सभी के काम आ सकता है, चाहे उनके व्यक्तिगत लक्ष्य कुछ भी हों। जीवन की चुनौतियों को स्वीकार कर अपने भयों पर क़ाबू पाने का साहस करें।
करें जीतने का साहस।
जैक कैनफ़ील्ड व्यक्तित्व विकास पर अनेक पुस्तकें लिख चुके हैं और उन्होंने संसार भर में पाँच लाख से अधिक लोगों के लिए सेमिनार संचालित किए हैं। मार्क विक्टर हैन्सन एक लोकप्रिय वक्ता हैं जो अमेरिका के मीडिया पर अक्सर नज़र आते हैं।
ये दोनों न्यूयॉर्क टाइम्स बेस्टसेलर्स ‘चिकन सूप फ़ॉर द सोल’ और ‘अ सैकंड हैल्पिंग ऑफ़ चिकन सूप फ़ॉर द सोल’ के लेखक भी हैं।
यह सहज-सरल कार्यक्रम सभी के काम आ सकता है, चाहे उनके व्यक्तिगत लक्ष्य कुछ भी हों। जीवन की चुनौतियों को स्वीकार कर अपने भयों पर क़ाबू पाने का साहस करें।
करें जीतने का साहस।
जैक कैनफ़ील्ड व्यक्तित्व विकास पर अनेक पुस्तकें लिख चुके हैं और उन्होंने संसार भर में पाँच लाख से अधिक लोगों के लिए सेमिनार संचालित किए हैं। मार्क विक्टर हैन्सन एक लोकप्रिय वक्ता हैं जो अमेरिका के मीडिया पर अक्सर नज़र आते हैं।
ये दोनों न्यूयॉर्क टाइम्स बेस्टसेलर्स ‘चिकन सूप फ़ॉर द सोल’ और ‘अ सैकंड हैल्पिंग ऑफ़ चिकन सूप फ़ॉर द सोल’ के लेखक भी हैं।
1
सुअवसरों का छद्म वेश हैं समस्याएँ
‘‘जीवन एक ग्राइंड स्टोन है, और यह आपको घिसकर नीचे
गिरा दे
या चमकाकर ऊपर उठा दे यह आपको और केवल आपको निश्चित करना
है।’’
—कैवेट रॉबर्ट
‘‘मेरी एक समस्या है।’’
न्यूयॉर्क सिटी के पाँचवें एवेन्यू में डॉ. नॉर्मन विन्सेन्ट पील के पास आते हुए उस युवक ने उनके कोट के अगले हिस्से को पकड़कर कहा, ‘‘डॉ. पील, कृपया मेरी मदद कीजिए। मैं अपनी समस्याओं को सँभाल नहीं पा रहा हूँ। उनकी अति हो गई है।’’
डॉ. पील ने कहा, ‘‘देखो, अभी मुझे एक भाषण देना है। यदि तुम मेरा कॉलर छोड़ दोगे, तो मैं तुम्हें वह स्थान दिखाऊँगा जहाँ समस्याहीन लोग रहते हैं।’’
उस व्यक्ति ने कहा, ‘‘यदि आप ऐसा कर सकें तो मैं वहाँ जाने के लिए कुछ भी दे दूँगा।’’
डॉ. पील ने कहा, ‘‘तुम एक बार उस स्थान को देखने के बाद शायद वहाँ नहीं जाना चाहोगे। वह केवल दो ब्लॉक दूर है।’’ वे फ़ॉरेस्ट लॉन क़ब्रिस्तान तक चले और डॉ. पील ने कहा, ‘‘देखो, यहाँ 1,50,000 लोग हैं। मुझे पता चला है कि इनमें से किसी को एक भी समस्या नहीं है।’’
न्यूयॉर्क सिटी के पाँचवें एवेन्यू में डॉ. नॉर्मन विन्सेन्ट पील के पास आते हुए उस युवक ने उनके कोट के अगले हिस्से को पकड़कर कहा, ‘‘डॉ. पील, कृपया मेरी मदद कीजिए। मैं अपनी समस्याओं को सँभाल नहीं पा रहा हूँ। उनकी अति हो गई है।’’
डॉ. पील ने कहा, ‘‘देखो, अभी मुझे एक भाषण देना है। यदि तुम मेरा कॉलर छोड़ दोगे, तो मैं तुम्हें वह स्थान दिखाऊँगा जहाँ समस्याहीन लोग रहते हैं।’’
उस व्यक्ति ने कहा, ‘‘यदि आप ऐसा कर सकें तो मैं वहाँ जाने के लिए कुछ भी दे दूँगा।’’
डॉ. पील ने कहा, ‘‘तुम एक बार उस स्थान को देखने के बाद शायद वहाँ नहीं जाना चाहोगे। वह केवल दो ब्लॉक दूर है।’’ वे फ़ॉरेस्ट लॉन क़ब्रिस्तान तक चले और डॉ. पील ने कहा, ‘‘देखो, यहाँ 1,50,000 लोग हैं। मुझे पता चला है कि इनमें से किसी को एक भी समस्या नहीं है।’’
समस्याएँ संपत्ति भी हो सकती हैं
यह डॉ. पील की प्रिय कहानियों में से एक है और क्योंकि यह समस्याओं के सही
स्वरूप का चित्रण करती है इसलिए हम इसे कभी नहीं भूले। समस्याएँ जीवन का
एक लक्षण हैं। यदि आपके पास कोई बड़ी समस्या है, तो उनके कृतज्ञ बनो। यह
सिद्ध करती है कि आप जीवित हैं और क्रियाशील हैं। (कुछ लोग कहते हैं कि
वास्तव में, किसी व्यक्ति के प्रति निर्णय लेने का सर्वोत्तम साधन उसकी
समस्याओं की गंभीरता को देखना है।)
अधिकतर लोगों की यह मान्यता है कि समस्याएँ बुरी होती हैं। प्रायः लोग यह महसूस करते हैं कि वस्तुओं की आदर्श स्थिति समस्या मुक्त होनी चाहिए। अतः यदि समस्या है, तो कुछ गड़बड़ी अवश्य होगी। फलस्वरूप हम अपनी शक्तियों का अधिकतर हिस्सा भाग्य को कोसने में लगा देते हैं। अंततः हम अपने आपसे यह कहने लगते हैं, ‘‘यदि मैं अपनी समस्याओं से मुक्ति पा सकूँ तो सब-कुछ उत्तम हो जाएगा।’’
यह निराशावादी का विलाप है। दूसरी ओर आशावादी समस्याओं में सुअवसर देखता है। यदि आपने किसी गंभीर समस्या का सामना करते हुए अपने भय पर क़ाबू पाकर उसे सुलझाया है, तो आप तुरंत समझ जाएँगे कि हमारा तात्पर्य क्या है। परंतु हममें से अधिकतर लोगों ने ऐसा नहीं किया है और अपने भय पर विजय नहीं पाई है। नतीजतन हममें से अधिकतर इस पर विश्वास नहीं कर पाते कि सुअवसर समस्याओं के छद्म वेश में हो सकते हैं। हम, चूँकि आप तक पहुँचकर आपको छूकर और आपकी स्वयं की समस्याओं के विषय में आपसे व्यक्तिगत बातें नहीं कर सकते तो हम अगली सर्वोत्तम बात करने जा रहे हैं। हम आपको उन बहुत से लोगों के विषय में बताएँगे जिनकी अविश्वसनीय रूप से गंभीर समस्याएँ थीं और जिनके विस्मयकारी परिणाम सामने आए।
हम उन चार क्षेत्रों की बात करते हैं जिनके विषय में लोग सबसे ज़्यादा चिंता करते हैं और जहाँ सर्वाधिक बड़ी समस्याएँ उन्हें नज़र आती हैं :
वित्तीय
शारीरिक रूप-रंग
बहुगुणित नुक़सान
कमज़ोर स्वास्थ्य
अधिकतर लोगों की यह मान्यता है कि समस्याएँ बुरी होती हैं। प्रायः लोग यह महसूस करते हैं कि वस्तुओं की आदर्श स्थिति समस्या मुक्त होनी चाहिए। अतः यदि समस्या है, तो कुछ गड़बड़ी अवश्य होगी। फलस्वरूप हम अपनी शक्तियों का अधिकतर हिस्सा भाग्य को कोसने में लगा देते हैं। अंततः हम अपने आपसे यह कहने लगते हैं, ‘‘यदि मैं अपनी समस्याओं से मुक्ति पा सकूँ तो सब-कुछ उत्तम हो जाएगा।’’
यह निराशावादी का विलाप है। दूसरी ओर आशावादी समस्याओं में सुअवसर देखता है। यदि आपने किसी गंभीर समस्या का सामना करते हुए अपने भय पर क़ाबू पाकर उसे सुलझाया है, तो आप तुरंत समझ जाएँगे कि हमारा तात्पर्य क्या है। परंतु हममें से अधिकतर लोगों ने ऐसा नहीं किया है और अपने भय पर विजय नहीं पाई है। नतीजतन हममें से अधिकतर इस पर विश्वास नहीं कर पाते कि सुअवसर समस्याओं के छद्म वेश में हो सकते हैं। हम, चूँकि आप तक पहुँचकर आपको छूकर और आपकी स्वयं की समस्याओं के विषय में आपसे व्यक्तिगत बातें नहीं कर सकते तो हम अगली सर्वोत्तम बात करने जा रहे हैं। हम आपको उन बहुत से लोगों के विषय में बताएँगे जिनकी अविश्वसनीय रूप से गंभीर समस्याएँ थीं और जिनके विस्मयकारी परिणाम सामने आए।
हम उन चार क्षेत्रों की बात करते हैं जिनके विषय में लोग सबसे ज़्यादा चिंता करते हैं और जहाँ सर्वाधिक बड़ी समस्याएँ उन्हें नज़र आती हैं :
वित्तीय
शारीरिक रूप-रंग
बहुगुणित नुक़सान
कमज़ोर स्वास्थ्य
वित्तीय समस्या
हम वित्तीय समस्याओं से ही प्रारंभ करते हैं, क्योंकि हममें से ज़्यादातर
का संबंध इन्हीं से होता है। यहाँ मार्क हमारा-अपना सर्वोत्तम उदाहरण है।
26 वर्ष की आयु में 1974 में मार्क बीस लाख डॉलर प्रतिवर्ष के मूल्य के जियोडैसिक गुंबदों का निर्माण कर रहे थे। आपको स्मरण हो कि जियोडैसिक गुंबद त्रिकोणों को इकट्ठा जोड़कर बनाई गई एक बड़ी रिहायशी इकाई होती है। इनका आविष्कार मार्क के आदर्श डॉ. आर. बकमिन्सटर फ़ुलर ने किया था और यह उनके 2,000 पैटेंट्स में सर्वाधिक प्रसिद्ध है। उस समय मार्क उन्हें बनते ही बेच देते थे।
परंतु मार्क की एक समस्या थी। 1974 अरब देशों द्वारा पेट्रोल निर्यात पर प्रतिबंध का पहला वर्ष था और मार्क गुंबदों के निर्माण में पॉलीविनाईल क्लोराइड (पी.वी.सी.) का प्रयोग करते थे जो एक पेट्रो-केमिकल उत्पादन है।
निश्चित ही यह करने के लिए यह ग़लत समय था। जब ओपेक (ओपीईसी) का गठन हुआ तो तेल उत्पादों की क़ीमतें आसमान छूने लगी थीं और अरब कहते थे, ‘‘हम इतने बड़े चैक लिख सकते हैं कि वे आपके बैंकों को बेइज़्ज़त (बाउन्स) कर देंगे।
ऐसा लगा कि जैसे एक दिन वह विश्व के शिखर पर था और अगले दिन उसने न्यायाधीश को कहते सुना, ‘‘मार्क विक्टर हैन्सन, आपको दिवालिया घोषित किया जाता है।’’
सुनवाई की तारीख़ के एक दिन पहले न्यायालय की सीढ़ियों पर एक युवा वकील ने उसके केस की अपील के विषय में कहा, ‘‘आप मेरी सेवाओं का उपयोग कीजिए। मैं आपकी दिवालिया होने की अपील केवल तीन सौ डॉलर में कर दूँगा।’’ मार्क ने कहा, ‘‘यदि मेरे पास तीन सौ डॉलर होते तो मैं दिवालिया नहीं होता।’’ मार्क को अपने केस के लिए पुस्तकालय में आप खुद दिवालिए कैसे हों किताब देखनी पड़ी।
वह मार्क का सबसे ख़राब समय था। एक से दम के मापदंड पर यह—12 था। मार्क शरीर से बीमार हो गया और उबकाइयाँ अनुभव करने लगा। उसकी आँखें भर आईं। उसके कान अस्थायी तौर से बंद हो गए। वह खुद को व्यक्तिगत और व्यावसायिक रूप से ठुकराया हुआ और हतोत्साहित अनुभव कर रहा था।
मार्क सोच रहा था कि वह एक गहरे खोल में स्थायी रूप से समा गया है। उसने संसार के लिए अपने दरवाज़े पर ताला लगा दिया था। मार्क के पलायनवादी क्रियाकलापों में लगभग चौबीसों घंटे सोना सम्मिलित था। अपने आपसे झूठ बोलकर कि वह थका है, मार्क शाम 6 बजे सोता और फिर सुबह 6 बजे ही उठता। वह यह सोचकर डर गया था कि प्रत्येक व्यक्ति जानता था कि मार्क दिवालिया और पूर्णतया असफल है। वह एक प्रकार के पलायनवादी व्यवहार का अनुभव कर रहा था।
26 वर्ष की आयु में 1974 में मार्क बीस लाख डॉलर प्रतिवर्ष के मूल्य के जियोडैसिक गुंबदों का निर्माण कर रहे थे। आपको स्मरण हो कि जियोडैसिक गुंबद त्रिकोणों को इकट्ठा जोड़कर बनाई गई एक बड़ी रिहायशी इकाई होती है। इनका आविष्कार मार्क के आदर्श डॉ. आर. बकमिन्सटर फ़ुलर ने किया था और यह उनके 2,000 पैटेंट्स में सर्वाधिक प्रसिद्ध है। उस समय मार्क उन्हें बनते ही बेच देते थे।
परंतु मार्क की एक समस्या थी। 1974 अरब देशों द्वारा पेट्रोल निर्यात पर प्रतिबंध का पहला वर्ष था और मार्क गुंबदों के निर्माण में पॉलीविनाईल क्लोराइड (पी.वी.सी.) का प्रयोग करते थे जो एक पेट्रो-केमिकल उत्पादन है।
निश्चित ही यह करने के लिए यह ग़लत समय था। जब ओपेक (ओपीईसी) का गठन हुआ तो तेल उत्पादों की क़ीमतें आसमान छूने लगी थीं और अरब कहते थे, ‘‘हम इतने बड़े चैक लिख सकते हैं कि वे आपके बैंकों को बेइज़्ज़त (बाउन्स) कर देंगे।
ऐसा लगा कि जैसे एक दिन वह विश्व के शिखर पर था और अगले दिन उसने न्यायाधीश को कहते सुना, ‘‘मार्क विक्टर हैन्सन, आपको दिवालिया घोषित किया जाता है।’’
सुनवाई की तारीख़ के एक दिन पहले न्यायालय की सीढ़ियों पर एक युवा वकील ने उसके केस की अपील के विषय में कहा, ‘‘आप मेरी सेवाओं का उपयोग कीजिए। मैं आपकी दिवालिया होने की अपील केवल तीन सौ डॉलर में कर दूँगा।’’ मार्क ने कहा, ‘‘यदि मेरे पास तीन सौ डॉलर होते तो मैं दिवालिया नहीं होता।’’ मार्क को अपने केस के लिए पुस्तकालय में आप खुद दिवालिए कैसे हों किताब देखनी पड़ी।
वह मार्क का सबसे ख़राब समय था। एक से दम के मापदंड पर यह—12 था। मार्क शरीर से बीमार हो गया और उबकाइयाँ अनुभव करने लगा। उसकी आँखें भर आईं। उसके कान अस्थायी तौर से बंद हो गए। वह खुद को व्यक्तिगत और व्यावसायिक रूप से ठुकराया हुआ और हतोत्साहित अनुभव कर रहा था।
मार्क सोच रहा था कि वह एक गहरे खोल में स्थायी रूप से समा गया है। उसने संसार के लिए अपने दरवाज़े पर ताला लगा दिया था। मार्क के पलायनवादी क्रियाकलापों में लगभग चौबीसों घंटे सोना सम्मिलित था। अपने आपसे झूठ बोलकर कि वह थका है, मार्क शाम 6 बजे सोता और फिर सुबह 6 बजे ही उठता। वह यह सोचकर डर गया था कि प्रत्येक व्यक्ति जानता था कि मार्क दिवालिया और पूर्णतया असफल है। वह एक प्रकार के पलायनवादी व्यवहार का अनुभव कर रहा था।
समस्याओं के साथ जीना
मार्क को बाहर धकेल दिया गया था। उसका ध्यान इसकी विनोदी प्रवृत्ति पर
गया। दिवालिया होने के तुरंत बाद ही उसने न्यूयॉर्क में ‘पैन
ऐम’ बिल्डिंग में गाड़ी खड़ी की। मार्क को उस इकलौते सूट में,
जिसे
दिवालिया घोषित करने वाले न्यायालय ने उसके पास छोड़ा था, देखकर, जो दरबान
उसकी गाड़ी वापस लेकर आया था, ने कहा, ‘‘मैन, मैं तो
आपके लिए
कैडिलैक लाने वाला था।’’
मार्क ने दुःखी मन से कहा, ‘‘मैं, भी।’’
उसे ऊपर से नीचे गिरने में कोई समय नहीं लगा। अचानक ही वह न्यूयॉर्क में चार सौ डॉलर की टूटी खिड़की वाली स्थायी वातानुकूलित वॉक्स वैगन में घूम रहा था।
किसी समय में वह बढ़िया सूट, अच्छी कंपनी के जूते, लंदन का बना कोहरे से बचाने वाला ट्रैंच कोट पहने हुए न्यूयॉर्क की जमा देने वाली ठंड के मौसम में रेल के डिब्बे से टिशू पेपर ख़ाली करवा रहा था और प्रति घंटा 2.14 डॉलर की दर से कमाई कर रहा था। उसके जियोडैसिक गुंबद के व्यापार में वह एक सेल्समैन—एक उच्च अधिकारी, अभिजात व्यक्ति था। अब उसने अपने आपसे पूछा, ‘‘मैं कौन हूँ ?’’
मार्क ने दुःखी मन से कहा, ‘‘मैं, भी।’’
उसे ऊपर से नीचे गिरने में कोई समय नहीं लगा। अचानक ही वह न्यूयॉर्क में चार सौ डॉलर की टूटी खिड़की वाली स्थायी वातानुकूलित वॉक्स वैगन में घूम रहा था।
किसी समय में वह बढ़िया सूट, अच्छी कंपनी के जूते, लंदन का बना कोहरे से बचाने वाला ट्रैंच कोट पहने हुए न्यूयॉर्क की जमा देने वाली ठंड के मौसम में रेल के डिब्बे से टिशू पेपर ख़ाली करवा रहा था और प्रति घंटा 2.14 डॉलर की दर से कमाई कर रहा था। उसके जियोडैसिक गुंबद के व्यापार में वह एक सेल्समैन—एक उच्च अधिकारी, अभिजात व्यक्ति था। अब उसने अपने आपसे पूछा, ‘‘मैं कौन हूँ ?’’
धरातल छूना
अपने सबसे ग़रीबी के दिनों में मार्क अपनी खटारा गाड़ी को पेट्रोल पंप पर
ले जाता और वहाँ लोग पूछते, ‘‘पूरी भर दें क्या
?’’ वह कहता ‘‘पच्चीस सैंट से
काम चल
जाएगा।’’ मार्क घबरा जाता और वे धीरज धरते। वे शायद
उसकी विषय
परिस्थितियों को समझते थे।
उसका आत्मसम्मान पूर्णतया ध्वस्त हो गया था और वह बिलकुल तली में था। परंतु तली में होना ही उसके जीवन का निर्णायक अवसर था—उसके लिए सबसे अधिक सुअवसरों का समय। उसने वे सिद्धांत सीखे जिन्हें हम आपसे जीतने का साहस में बाँटेंगे और परिचित कराएँगे। उनमें से एक कुंजी है कि स्थितियाँ कितनी भी निराशाजनक क्यों न हों कभी हार मत मानो, क्योंकि हर समस्या को सुलझाने का एक रास्ता अवश्य है। मार्क के लिए इससे अधिक बदतर कुछ हो ही नहीं सकता था—वहाँ से हर रास्ता ऊपर ही जाता था।
समझने के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण संदेश है और हम इसे अधिकतर चूक जाते हैं। हम दीवालिए हो गए लोगों को हेय दृष्टि से देखते हैं, उस पर तरस खाते हैं। मगर हक़ीक़त में उस वक़्त सारी दुनिया उनके लिए पूर्णतया खुली रहती है। उन्हें ऐसे किसी भी व्यवसाय से चिपके रहने की आवश्यकता नहीं होती, जिसे वे पसंद ना करते हों या कोई भी व्यवसाय जो उनके योग्य नहीं हो या कोई वित्तीय व्यवस्था जिसमें वे जकड़ा हुआ अनुभव करते हों। अचानक सारा विश्व उनके सामने पूरी तरह खुल जाता है। उनके लिए हर चीज़ संभव है।
उसका आत्मसम्मान पूर्णतया ध्वस्त हो गया था और वह बिलकुल तली में था। परंतु तली में होना ही उसके जीवन का निर्णायक अवसर था—उसके लिए सबसे अधिक सुअवसरों का समय। उसने वे सिद्धांत सीखे जिन्हें हम आपसे जीतने का साहस में बाँटेंगे और परिचित कराएँगे। उनमें से एक कुंजी है कि स्थितियाँ कितनी भी निराशाजनक क्यों न हों कभी हार मत मानो, क्योंकि हर समस्या को सुलझाने का एक रास्ता अवश्य है। मार्क के लिए इससे अधिक बदतर कुछ हो ही नहीं सकता था—वहाँ से हर रास्ता ऊपर ही जाता था।
समझने के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण संदेश है और हम इसे अधिकतर चूक जाते हैं। हम दीवालिए हो गए लोगों को हेय दृष्टि से देखते हैं, उस पर तरस खाते हैं। मगर हक़ीक़त में उस वक़्त सारी दुनिया उनके लिए पूर्णतया खुली रहती है। उन्हें ऐसे किसी भी व्यवसाय से चिपके रहने की आवश्यकता नहीं होती, जिसे वे पसंद ना करते हों या कोई भी व्यवसाय जो उनके योग्य नहीं हो या कोई वित्तीय व्यवस्था जिसमें वे जकड़ा हुआ अनुभव करते हों। अचानक सारा विश्व उनके सामने पूरी तरह खुल जाता है। उनके लिए हर चीज़ संभव है।
ऊपर चढ़ने की शुरुआत
यह स्थिति ऐसी थी जिसमें दीवालिया होने के बाद मार्क को फिर से ऊपर उठना
था। यद्यपि इस बार वह इस किताब में सिखाए गए सिद्धांतों को समझने और
उन्हें अपने ध्यान में हमेंशा रखने वाला था। बाद में उसके एक दोस्त ने
कहा, ‘‘मार्क, तुमने अपने पीछे सारे पुल जला डाले,
तुम्हें
सफल होना ही था !’’ आज मार्क की एक प्यारी पत्नी, दो
सुंदर
बेटियाँ हैं और दक्षिणी कैलीफ़ोर्निया में जायदाद है। वह तीन महत्त्वपूर्ण
व्यापारिक संस्थानों का मालिक है और लगभग 6 और संस्थानों के संचालक मंडल
में शामिल है।
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लोगों की राय
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